Startup vs Business
in India
कहते हैं कि कलियुग के बाद प्रलय युग आएगा और सब नष्ट हो जाएगा , मगर इसी बीच न जाने कितने और छोटे मोटे समय अंतराल आयेंगे। ऐसा ही एक समय अंतराल जो अभी भारत में चल रहा है उसे “स्टार्टअप युग” कहा जा सकता है।
यह युग भारत के भविष्य के लिए स्वर्णिम साबित होगा इसमें कोई दोराय नहीं मगर इसमें जो चेहरे सामने आये उनसे हमें सीखने की ज़रूरत अवश्य है।
लाखों स्टार्टअप शुरू हुए, कामयाब भी हुए मगर जो हम सबकी की नज़रों में आये , वो थे एमबीए चायवाला( MBA Chaiwala) , उसके बाद ग्रेजुएट चायवाली ( graduate chaiwali), atmnirbhar chaiwali और फिर एक्टर चायवाला ( actor chaiwala)
ये सब सोशल मीडिया की बदौलत हम लोगों के सामने आये और फिर धीरे धीरे ग़ायब हो गये।यहाँ तक की ग्रेजुएट चायवाली और एक्टर चायवाला की तो दुकाने भी बंद हो गई ।
यह उनका निजी मामला समझ कर छोड़ भी दिया जाये तो फिर यह सब हमारे सामने एक स्टार्टअप के रूप में कैसे सामने आया। क्या यह एक स्टार्टअप हो सकता है ?
जो लोग स्टार्टअप का मतलब समझते हैं वे इसे बेहतर करते हैं, शायद नाकामयाब भी हों, मगर कुछ लोग सोशल मीडिया की पॉपुलैरिटी को ही स्टार्टअप समझाते हैं। यह वैसे ही है जैसे कुएँ में पड़ा मेंढक कुएँ को ही ब्रह्मांड समझता है । बरसात, बादल और चाँद का दिखाई देना उसके लिए दिव्य घटनाएँ हैं।
स्टार्टअप होता है किसी नये तरीक़े, नये विचार, नवाचार से किसी काम को बेहतर बनाना और उस काम को आगे ले जाना । न की सोशल मीडिया पर सिर्फ़ पॉपुलैरिटी हासिल करना ।
बिज़नेस होता है प्रम्परागत तरीक़े से काम को अंजाम देना और आगे बढ़ना, जिसके कुछ नियम , क़ायदे क़ानून भी होते हैं।
इसलिए जरुरी है कि युवा सिर्फ़ पॉपुलैरिटी को ही स्टार्टअप या बिज़नेस न समझे । आपके शुरुआती कदम ज़मीन पर होने चाहिए, सिर्फ़ पॉपुलैरिटी आपको आसमान की उड़ान दे सकती है मगर पैरों तले ज़मीन छिन लेती है।